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प्राकृतिक स्वर्ग

खिर्सू पौड़ी

खिर्सू

खिर्सू

खिर्सू के हिमाच्छादित पहाड़ केन्द्रीय हिमालय का मनोरम दृश्य पेश करते हैं तथा बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं । यहां से कोई भी बहुत सी ज्ञात और अज्ञात चोटियों साफ़ और सुंदर नज़ारा देख सकता है । खिर्सू पौड़ी से 19 किलोमीटर स्थित 1,700 मीटर की ऊंचाई पर, प्रदूषण से मुक्त एवं शांत जगह है। केवल पक्षियों की चेहचाहट ही आस-पास के ओक, देवदार और सेब के बगीचों की शांति को तोडती  है। यहाँ का घंडियाल देवता का प्राचीन मंदिर देखने लायक है। पर्यटक विश्रामगृह और वन विश्रामगृहमें ठहरने की व्यवस्था उपलब्ध है।
 
 

दूथातोली

दूधातोली पौड़ी

दूधातोली

दूथातोली ३१०० मी० कि ऊँचाई पर स्थित है,  जो घने जंगलों से घिरा हुआ है । थलीसैंण आखरी  बस स्टेशन (पौड़ी से 100 किमी) है, जहां से दूधातौली ट्रैक द्वारा २४ किमी दूर है। यहाँ से हिमालय पर्वतमाला और आस-पास के क्षेत्रों का मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है। गढ़वाल के अदम्य स्वतंत्रता सेनानी, वीरचंद्र सिंह गढ़वाली इस  जगह से बहुत मोहित थे। उनकी अंतिम इच्छा के रूप में, उनके नाम पर एक स्मारक उनकी मृत्यु के बाद यहां बनाया गया था । अपने नाम पर एक विनम्र लेकिन बोल्ड स्मारक, ओक वृक्षों के नीचे ‘कभी नहीं मरने वाला ‘ वातावरण बनाता है।
 
 
 
 

बिनसर महादेव पौड़ी

बिनसर महादेव

बिनसर महादेव

बिनसर महादेव का मंदिर पट्टी – चौथान, ब्लाक थेलीसेंण जिला पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड का प्रसिद्ध मंदिर है,देव भूमि उत्तराखंड की अलोकिक धरती पर यह मंदिर स्वर्ग से कम नहीं है यहाँ की सुन्दरता मन को मोह लेती है बिंसर महादेव मंदिर 2480 मी. ऊंचाई पर स्थित है। यह पौढी से 114 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह अपनी प्राकृतिक सौन्‍दर्यता के लिए जानी जाती है। यह मंदिर भगवान हरगौरी, गणेश और महिषासुरमंदिनी के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इस मंदिर को लेकर यह माना जाता है कि यह मंदिर महाराजा पृथ्‍वी ने अपने पिता बिन्‍दु की याद में बनवाया था।
इस मंदिर को बिंदेश्‍वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।समुद्र तट से २४८० मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर थैली सेन से २२ किलो मीटर की दूरी पर है, यह पुरानी शिल्पकला का अद्बुद सजीव चित्रण है।

 

तारा कुंड

ताराकुण्ड पौड़ी

ताराकुण्ड

चिरिसर विकास क्षेत्र के बड़े पहाड़ों के बीच 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तारकुंड एक छोटा सा चित्रमय स्थान है। एक छोटी झील और एक प्राचीन मंदिर । तीज के त्योहार पर स्थानीय लोग पूजा करने के लिए यहां आते हैं और भगवान को श्रद्धांजलि देते हैं।
 
 
 
 
 
 

कण्वाश्रम पौड़ी

कण्वाश्रम

कण्वाश्रम

कोटद्वार से 14 किलोमीटर दूर मालिनी नदी के किनारे स्थित कनव ऋषि आश्रम ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण स्थान है।यह माना जाता है कि जब ऋषि विश्वामित्र ने यहां ध्यान लगाया तब देवताओं के राजा इंद्र ने उनके ध्यान को भंग करने के लिए स्वर्ग की अप्सरा मेनका को भेजा । अंततः मेनका विश्वमित्र के ध्यान को भंग करने में सफल हुई और एक लड़की को जन्म देने के बाद वह स्वर्ग लौट गई। लड़की शकुंतला के नाम से पहचानी गयी जिसने हस्तिनापुर के राजकुमार से शादी कर की और राजकुमार भरत को जन्म दिया, जिसके नाम से हमारे देश को भारत कहा जाता है। पर्यटक आवास कण्वाश्रम यहाँ रुकने के लिए उपलब्ध है
 
 

भारत नगर

भारत नगर पौड़ी

भारत नगर

कोटद्वार से 22 किलोमीटर दूर और 1,400 मीटर की ऊंचाई पर भारत नगर विशाल प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। इसका उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथों में किया गया है कि यह जगह जीवन देने वाली जड़ी-बूटियों से भरी हुई थी । यहां से गंगा का बालावाली पुल, कालागढ़ बांध और कोटद्वार शहर का सुंदर दृश्य दिखता है।
 
 
 
 
 
 

कालागढ़ पौड़ी

कालागढ़

कालागढ़

कालागढ़, कोटद्वार से 48 किमी की दूरी पर स्थित है ।कालागढ़ प्रकृति से प्यार करने वाले के लिए एक आदर्श जगह है राम गंगा पर बना बांध देखने लायक है ।  यहाँ पर्यटक विश्रामगृह और वन विश्रामगृहमें ठहरने की व्यवस्था उपलब्ध है।