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पौड़ी के आस पास के क्षेत्र

क्यूंकालेश्वर मंदिर

आठवीं शताब्दी इस शिव मंदिर की स्थापना शंकराचार्य द्वारा पौड़ी की यात्रा के दौरान हिंदू धर्म के पुनरुत्थान के रूप में की गयी थी । मंदिर पौड़ी और आसपास के इलाकों में बहुत प्रसिद्ध है, लोगों का मंदिर के मुख्य देवताओं- भगवान शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय में बहुत अधिक आस्था और  विश्वास है। मुख्य मंदिर के एकदम पीछे  अन्य देवताओं भगवान राम, लक्ष्मण और देवी सीता के मदिर हैं। यहां से  हिमालय पर्वतमाला के साथ-साथ अलकनंदा घाटी और  पौड़ी शहर का एक मंत्रमुग्ध दृश्य दिखता है।

 

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कंडोलिया

एक और शिव मंदिर  (कंडोलिया देवता) कंडोलिया पहाड़ियों पर ओक और पाइन के घने जंगल में स्थित है। इस मंदिर के निकट एक खूबसूरत पार्क, खेल परिसर और कुछ मीटर आगे एशिया की सबसे ऊंची स्टेडियम रान्शी है ।  गर्मियों के दौरान कंडोलिया पार्क में स्थानीय लोगों को उत्साह से हँसते और खेलते देख सकते हैं। पार्क के एक ओर से पौड़ी शहर का एक सुंदर दृश्य और उसके दूसरी तरफ गंगावार्सुई  घाटी का एक सुंदर दृश्य दिखाई पड़ता है। मंदिर बस स्टेशन से १ किमी पैदल और मोटर मार्ग द्वारा २ किमी की दूरी पैर स्थित है।

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नाग देव

यह मंदिर पौड़ी-बुबाखाल  रोड पाइन और रोडोडेंड्रन के घने जंगल के बीच में स्थित है। मंदिर के रास्ते में एक वेधशाला स्थापित की गयी है जहां से चौखंबा, गंगोत्री समूह, बन्दर पूँछ , केदरडोम, केदारनाथ आदि जैसे शानदार हिमालय पर्वतमाला के विशाल और रोमांचकारी दृश्य देखे जा सकते हैं। मंदिर बस स्टेशन से 5 किमी दूर स्थित है तथा यहाँ पर 1 और 1/2 किलोमीटर ट्रेक द्वारा भी पहुंचा  जा सकता है।

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माँ ज्वाल्पा देवी मंदिर

देवी दुर्गा को समर्पित इस क्षेत्र का प्रसिद्ध शक्तिपीठ माँ ज्वाल्पा देवी का मंदिर पौड़ी-कोटद्वार मोटर सड़क पर पौड़ी से लगभग 33 किमी दूरी पर स्थित है।   लोग दूर दूर से अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए नवरात्रों के दौरान एक विशेष पूजा के लिए आते  हैं। पर्यटक विश्रामगृह और धर्मशाला यहां उपलब्ध हैं। मंदिर नदी नायर नदी के उत्तरी किनारे पर स्थित है तथा पास का  स्टेशन सतपुली लगभग 17 किमी है।

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बिनसर महादेव

बिनसर महादेव का मंदिर पट्टी – चौथान, ब्लाक थेलीसेंण जिला पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड का प्रसिद्ध मंदिर है,देव भूमि उत्तराखंड की अलोकिक धरती पर यह मंदिर स्वर्ग से कम नहीं है यहाँ की सुन्दरता मन को मोह लेती है बिंसर महादेव मंदिर 2480 मी. ऊंचाई पर स्थित है। यह पौढी से 114 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह अपनी प्राकृतिक सौन्‍दर्यता के लिए जानी जाती है। यह मंदिर भगवान हरगौरी, गणेश और महिषासुरमंदिनी के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इस मंदिर को लेकर यह माना जाता है कि यह मंदिर महाराजा पृथ्‍वी ने अपने पिता बिन्‍दु की याद में बनवाया था।
इस मंदिर को बिंदेश्‍वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।समुद्र तट से २४८० मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर थैली सेन से २२ किलो मीटर की दूरी पर है, यह पुरानी शिल्पकला का अद्बुद सजीव चित्रण है।
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ताराकुण्ड

चिरिसर विकास क्षेत्र के बड़े पहाड़ों के बीच 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तारकुंड एक छोटा सा चित्रमय स्थान है। एक छोटी झील और एक प्राचीन मंदिर । तीज के त्योहार पर स्थानीय लोग पूजा करने के लिए यहां आते हैं और भगवान को श्रद्धांजलि देते हैं।